जैन धर्म
JAINISM
☆ छठी शताब्दी में जैन धर्म उदित हुआ
☆ 62 नवीन धार्मिक संप्रदायों में से जैन धर्म एक था
☆ जैन धर्म की स्थापना = ऋषभदेव
☆पहले तीर्थंकर = ऋषभदे ,आदिनाथ
☆ तीर्थंकर का अर्थ = धर्म गुरु
☆ तीर्थंकरों की संख्या = 24
☆ जैन शब्द की उत्पत्ति = जैन शब्द की उत्पत्ति जिन से इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना हुई है जिसका अर्थ है
मुख्य जैन तीर्थंकर एवं उनके प्रतीक:-
तीर्थंकर प्रतीक चिन्ह
1st ऋषभदेव सांड
2nd अजीतनाथ हाथी
21st नेमिनाथ शंख
23rd पार्श्वनाथ सांप
24th महावीर सिंह
महावीर
☆ बचपन का नाम = वर्धमान
☆ जन्म = कुंडल ग्राम ,वैशाली (बिहार) (540 ईसवी पूर्व)
☆ पिता = सिद्धार्थ (क्षत्रिय कुल)
☆ माता = त्रिशला
☆ पत्नी = यशोदा
☆ पुत्री = प्रियदर्शिनी
☆ गृह त्याग = 30 वर्ष की आयु में
☆ तपस्या काल = 12 वर्ष
☆ तपस्या स्थल = जंबी ग्राम (साल वृक्ष)
☆ निर्वाण = 468 ईसा पूर्व (72 वर्ष की आयु)
☆ उपदेश की भाषा = प्राकृत , अर्धमगधी
☆ प्रथम उपदेश = राजगृह (वित्तूलाचल पर्वत)
☆ महावीर के प्रथम शिष्य = दमाद जामली
▪︎महावीर के अनुयायियों को निग्रंथ कहते हैं
☆ जैन भिक्षुणी = दधि वादन की पुत्री
जैन धर्म के अनुयायी (प्रमुख शासक):-
उदयन
चंद्रगुप्त मौर्य
कलिंग राज
आमोद वर्ष
राष्ट्रकूट राजा
चंदेल शासक
● महावीर ने भिक्षुओं को पंच व्रत का उपदेश दिया :-
पंच व्रत
☆ अस्तेय= चोरी ना करना बिना /आज्ञा के बिना कोई वस्तु ना लेना
☆ अहिंसा = ना हिंसा करना और ना ही हिंसा को प्रोत्साहित करना
☆ सत्य = क्रोध, भय, लोभ पर विजय की प्राप्ति से सत्य नामक व्रत पूरा होगा
☆ ब्रम्हचर्य = सभी प्रकार की वासनाओं का त्याग
☆ अपरिग्रह = किसी भी वस्तु से लगाव ना रखना
जैन धर्म के त्रिरत्न
■ सम्यक ज्ञान = शंका विहीन वास्तविक ज्ञान
■ सम्यक श्रद्धा = सत्य पर विश्वास
■ सम्यक आचरण = ब्रह्मा जगत के प्रति उदासीनता
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