विशेष आर्थिक क्षेत्र सेजSPECIAL ECONOMIC ZONE (SEZ)
विशेष आर्थिक क्षेत्र उस विशेष रूप से परिभाषित भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहां से व्यापार आर्थिक क्रियाकलाप उत्पादन तथा अन्य व्यवसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है। निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सरकार द्वारा चीन से प्रेरणा लेकर स्पेशल इकोनामिक जोन अर्थात विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना की है। यह क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम कायदों को ध्यान में रखकर व्यवसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित किया गया है। भारतीय सरकार द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र की शुरुआत सन 2005 में की गई थी। विशेष आर्थिक क्षेत्र से होने वाले निर्यात पर कस्टम ड्यूटी, डिविडेंड डिसटीब्यूशन टैक्स, मिनिमम अल्टरनेट टैक्स आदि कोई भी प्रकार का कर नहीं लगाया जाता। विशेष आर्थिक क्षेत्र का विशेष आधार चीन है । चीन में इस प्रकार के कार्यक्रम की अधिक सफलता के माध्यम से चीन को विदेशी निवेशको को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता प्राप्त हुई है। इससे चीन की निर्यात गति में बेहद ही तीव्रता से वृद्धि हुई है। विश्व निर्यात में 6% की भागीदारी वर्तमान में सुनिश्चित है।
विशेष आर्थिक क्षेत्र के उद्देश्य
- अधिक से अधिक निवेशकों को निर्यात हेतु आकर्षित कर व्यापार को बढ़ावा देना
- स्वदेशी और विदेशी स्त्रोतो द्वारा निवेश को प्रोत्साहन
- आधारभूत सुविधाओं का विकास
- वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करना
- अतिरिक्त आर्थिक गतिविधियों का संचालन
- रोजगार के अवसरों का सृजन
भारत में आर्थिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर भी विशेष आर्थिक क्षेत्र की योजना के विरोध के साथ-साथ इसका व्यापक समर्थन भी हुआ है विशेष आर्थिक क्षेत्र का क्षेत्र 10 से 10000 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक फैला हो सकता है इन क्षेत्रों के आधारभूत ढांचे अर्थात भवन कारखाने ऊर्जा सड़क परिवहन संचार व्यवस्था इत्यादि की उत्कृष्ट सुविधा होती है लगभग सभी विकसित देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित है
विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना किसी भी निजी सार्वजनिक अथवा संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा की जा सकती है इसके साथ विदेशी कंपनियों को भी इसकी स्थापना की अनुमति प्रदान की जाती है सेठ का कामकाज एक त्रिस्तरीय प्रशासनिक ढांचे द्वारा शासित होता है सेज में वस्तुओं के निर्माण सेवाओं की उपलब्धता निर्माण से संबंधित प्रक्रिया मरम्मत एवं पुनर्निर्माण इत्यादि के कार्यक्रम किए जाते हैं 17 जुलाई 2013 की स्थिति के अनुसार भारतीय सरकार निकुल 55076 विशेष आर्थिक क्षेत्रों को स्वीकृति प्रदान की है भारत में 6 विशेष आर्थिक क्षेत्र निम्नलिखित है :-
- कांडल विशेष आर्थिक क्षेत्र
- कोच्चि विशेष आर्थिक क्षेत्र
- मद्रास विशेष आर्थिक क्षेत्र
- विशाखापट्टनम विशेष आर्थिक क्षेत्र
- फालता विशेष आर्थिक क्षेत्र
- नोएडा विशेष आर्थिक क्षेत्र
भारत देश में काफी हद तक विशेष आर्थिक क्षेत्र द्वारा लाभ हुआ है जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं :-
विशेष आर्थिक क्षेत्र के लाभ
- आर्थिक विकास में वृद्धि
- अर्थव्यवस्था में सुधार
- पूंजी निवेश में वृद्धि
- रोजगार में वृद्धि निर्यात में वृद्धि
- सरकार की आय में वृद्धि
- औद्योगिकरण मे वृद्धि
विशेष आर्थिक क्षेत्र के लाभ के साथ-साथ भारत में इसकी मंदी को भी झेलना पड़ा है।
एसईजेड की समस्याएं
- निरंतर गिरता निर्यात।
- डी नोटिफिकेशन के बढ़तेआवेदन
- नए एस ई जेड के लिए बेहद कम आवेदन ।
- कृषि योग्य भूमि का प्रयोग विशेष आर्थिक क्षेत्र हेतु करना।
- टैक्स में छूट की वजह से राजस्व में कमी।
- विदेशी कंपनियों द्वारा प्राप्त लाभ को वह अपने देश भेज सकते हैं।
- निवेशक विशेष आर्थिक क्षेत्र के नाम पर सस्ती दरों में जमीन खरीदते हैं और जमीन पर स्वरोजगार शुरू करते हैं।
सरकार ने आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ाने के उद्देश्य से अपनी योजनाओं और नीतियों को एक दूसरे से जोड़कर लाभ कमाने की योजना बनाई है भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मेक इन इंडिया और विशेष आर्थिक क्षेत्र को एक साथ जोड़ने की नीति बनाई है इसका लाभ यह होगा कि ना केवल मेक इन इंडिया को बल प्राप्त होगा बल्कि खत्म हो चुकी विशेष आर्थिक क्षेत्र की रणनीति पुनर्जीवित होगी निर्यात को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए विशेष आर्थिक क्षेत्र को मैन्युफैकरिंग क्षेत्र से जोड़कर उसका संपूर्ण लाभ लेने की कोशिश भारतीय सरकार वर्तमान समय में कर रही है।
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