प्लेटो का शिक्षा संबंधी सिद्धांत PLATO'S THEORY OF EDUCATION


प्लेटो  का शिक्षा संबधी सिद्धांत


प्लेटो
महान दार्शनिक विचारक  प्लेटो 

PLATO'S THEORY OF EDUCATION 


परिचय प्लेटो यूनान के एक महान दार्शनिक विचारक थे ।प्लेटो सुकरात के शिष्य और अरस्तु के गुरु थे।


सुकरात


अरस्तु



प्लेटो की सुप्रसिद्ध पुस्तक रिपब्लिक है




प्लेटो ने आदर्श राज्य के निर्माण पर बहुत अधिक बल दिया है आदर्श राज्य के उत्थान के लिए इन्होंने नागरिकों का शिक्षित होना परम आवश्यक माना है प्लेटो ने आदर्श राज्य की कल्पना को साकार करने के लिए ही अपनी नवीन शिक्षा पद्धति का विस्तृत वर्णन किया है।
शिक्षा के अलावा प्लेटो ने अपनी पुस्तक में अन्य चार  सिद्धांतों का वर्णन किया है  । जिसका मुख्य आधार एक आदर्श राज्य की स्थापना करना है
पुस्तक रिपब्लिक में वर्णित मुख्य चार सिद्धांत :-
  1. न्याय का सिद्धांत 
  2. शिक्षा का सिद्धांत
  3. दार्शनिक शासक का सिद्धांत
  4. साम्यवाद का सिद्धांत

प्लेटो के शिक्षा  सिद्धांत की व्याख्या 

प्लेटो के अनुसार शिक्षा मानसिक रोगों का मानसिक उपचार है । प्लेटो ने आत्मज्ञान के एक सकारात्मक साधन के रूप में शिक्षा का प्रतिपादन किया है रूसो ने प्लेटो की पुस्तक रिपब्लिक को शिक्षा पर लिखा गया ग्रंथ कहा है ।  प्लेटो की नवीन शिक्षा पद्धति एथेंस और स्पारटा की शिक्षा पर आधारित है ।









प्लेटो का यह मानना है कि राज्य के नागरिकों को शिक्षा के समान अवसर प्राप्त होने चाहिए अर्थात उन्होंने शिक्षा के मामले में स्त्री ,पुरुष ,अमीर ,गरीब उच्च ,नीच किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं किया है ।


प्लेटो के अनुसार शिक्षा के उद्देश्य


  1. व्यक्तिक उद्देश्य 
  1. सामाजिक उद्देश्य


  • व्यक्तिक उद्देश्य :-
व्यक्ति का संतुलित रूप से विकास करने के लिए उसमें सद्गुणों का विकास किया जाना अति आवश्यक है व्यक्तित्व के संतुलन हेतु सौंदर्य ,न्याय और प्रेम जैसे गुण आवश्यक है संतुलित विकास के लिए शारीरिक विकास और मानसिक विकास आवश्यक है । इस कारण प्लेटो ने शिक्षा का उद्देश्य बालक के मन और शरीर का विकास करना बताया है।

  • सामाजिक उद्देश्य :-
प्लेटो के अनुसार शिक्षा का एक अन्य उद्देश्य है राज्य को एकता प्राप्त कराना राज्य में एकता लाने के लिए नागरिकों को सामूहिक जीवन त्याग जैसे गुणों के विकास हेतु शिक्षा दी जाती है।

प्लेटो के अनुसार शिक्षा के अन्य उद्देश्य

  • सहयोगी तथा सामुदायिक जीवन की भावना का विकास
  • शारीरिक तथा मानसिक विकास
  • नागरिक कुशलता का विकास 
  • संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण 
  • विवेक का विकास 
  • बालकों को सामंजस्य जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार करना


प्लेटो की शिक्षा प्रणाली










प्लेटो की शिक्षा योजना दीर्घकालीन शिक्षा योजना है प्लेटो ने आयु के आधार पर शिक्षा का विभाजन दो भागों में किया है:-
  1. सैद्धांतिक शिक्षा 0 से 35 वर्ष 
  2. व्यवहारिक शिक्षा 35 से 50 वर्ष


सैद्धांतिक शिक्षा 0 से 35 वर्ष

सैद्धांतिक शिक्षा को अन्य दो भागों में विभाजित किया गया है:-
 प्राथमिक शिक्षा
 उच्च शिक्षा

प्राथमिक शिक्षा 0 से 20 वर्ष

0 से 6 वर्ष मां के आचरण में रहकर कहानियों के माध्यम से बच्चा जन्म से 6 वर्ष की आयु तक नैतिक शिक्षा प्राप्त करता है।

6 से 18 वर्ष इस दौरान बालक की शारीरिक तथा मानसिक बल को बलशाली बनाया जाता है अर्थात व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक बल पर ध्यान दिया जाता है।

18 से 20 वर्ष मानसिक और शारीरिक रूप से बलवान बनने के उपरांत नागरिक को सैनिक शिक्षा ग्रहण करने योग्य बनाया जाता है।


प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण होने पर बालक द्वारा एक परीक्षा दी जाती है यदि वह इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लेता है तो उसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु सक्षम समझा जाता है अथवा अनुत्तीर्ण बालकों को 30 वर्ष की आयु में फिर से एक परीक्षा देनी होती है उन बालकों को अनुत्तीर्ण होने पर सैनिक दल में भेज दिया जाता है। 

उच्च शिक्षा 20 से 35 वर्ष

20 से 35 वर्ष बालक को सैनिक शिक्षा के उपरांत इस काल में गणित एवं द्वितीय की शिक्षा दी जाती है ।

30 से 35 वर्ष इन 5 सालों के काल में व्यक्ति को दर्शन शास्त्र का ज्ञान दिया जाता है।

प्लेटो की प्रारंभिक शिक्षा प्रणाली अर्थात सैद्धांतिक शिक्षा बालक की 35 वर्ष की आयु में पूर्ण हो जाती है परंतु प्लेटों का यह मत है कि 35 वर्ष की आयु तक व्यक्ति ने केवल थोड़ी ही बौद्धिक शिक्षा ग्रहण की है इन्होंने व्यावहारिक शिक्षा अन्य 15 वर्षों के लिए बढ़ाई है। 

व्यावहारिक शिक्षा 35 से 50 वर्ष 

इन 15 वर्षों की अवधि में नागरिक को शासक बनाने के लिए तैयार किया जाता है एक दार्शनिक शासक बनाने के लिए तैयार किया जाता है| नागरिकों को इस दौरान निम्नलिखित शिक्षाएं दी जाती है :-
  • व्यवहारिक शिक्षा 
  • शास्त्री लोक और 
  • लोक व्यवहार की शिक्षा 
50 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर एक परीक्षा होती है जो व्यक्ति परीक्षा उत्तीर्ण करता हैजो व्यक्ति यह परीक्षा उत्तीर्ण करता हैवह दार्शनिक शासक बनता हैअनु तीन व्यक्तियों कोसैनिक दल में भेज दिया जाता हैप्लेटो का कहना है कि राज्य का योग्य दार्शनिक शासक होगा क्योंकि दार्शनिक राजा के मन में सत्ता के प्रति कोई लोभ और लालच नहीं होता । वह कहते हैं कि जिस शासक के मन में सत्ता के प्रति लोभ होगा वह कभी भी एक अच्छा शासक नहीं बन पाएगा प्लेटो ने ज्यामितीय की शिक्षा पर बहुत अधिक बल दिया है
प्लेटो ने अपनी एकेडमी के प्रवेश द्वार पर यह लिख दिया की ज्यामितीय से अपरिचित कोई भी व्यक्ति भीतर प्रवेश ना करें ।

प्लेटो के शिक्षा संबंधी सिद्धांत का महत्व

  • यूनेस्को की प्रस्तावना का आधार   =  प्लेटो का शिक्षा संबंधी व्यंग्य है कि शिक्षा मानसिक रोगों का मानसिक उपचार हैइसी व्यंग से प्रभावित होकर यूनेस्को की प्रस्तावना में लिखा हैकी युद्ध मानव के मस्तिष्क में ही जन्म लेता है
  • समानता पर आधारित  = प्लेटो की शिक्षा प्रणाली समानता पर आधारित है उन्होंने अपनी शिक्षा सिद्धांत का वर्णन करते हुए किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया उन्होंने स्त्री और पुरुष, अमीर और गरीब सभी की शिक्षा पर बल दिया है।
अन्य महत्व 
  • व्यक्ति कर्तव्य पालन करता है
  • नागरिकों को सद्गुणी बनाना
  • शिक्षा द्वारा व्यक्ति की आत्मा का विकास
  • सत्य की अनुभूति का साधन
  • बुराइयों का नाश करने में सहायक
  • नागरिकों की चेतना और तर्क शक्ति में वृद्धि
  • शिक्षा द्वारा मनुष्य का शारीरिक मानसिक और बौद्धिक एवं नैतिक विकास।

आलोचनाएं

 विभिन्न आलोचकों द्वारा प्लेटो के शिक्षा संबंधी सिद्धांत की भिन्न-भिन्न आलोचना की गई है इनके शिक्षासंबंधित सिद्धांत की आलोचनाएं निम्नलिखित है :-
अप्रजातांत्रिक तथा एकांगी   = अत्यंत छोटे जनसमुदाय को प्लेटो ने यह सौभाग्य दिया है कि वह ज्ञान के प्रकाश से आत्मा को आलोकित कर सके।
साहित्य एवं कला की उपेक्षा  = आलोचकों का यह मत है कि प्लेटो के शिक्षा सिद्धांत में साहित्य और कला पर कम बल दिया गया है अथवा गणित को अधिक महत्व दिया गया है जिसे उचित नहीं कहा जा सकता साहित्य जीवन का दर्पण है और मानव की कोमल भावनाओं को विकसित कर उसके दृष्टिकोण व्यापक करता है।
साहित्य और कला पर प्लेटो ने अनुचित प्रतिबंध लगाए हैं ।
शिक्षा क्रम लंबा अथवा खर्चीला  = प्लेटो की शिक्षा व्यवस्था एक निश्चित समय तक सीमित नहीं रहती वह जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है । व्यक्ति के जन्म से लेकर उम्र के 50 वर्ष तक इनकी शिक्षा पद्धति निरंतर चलती रहती है । व्यवहार में केवल धनी व्यक्ति ही इस प्रकार की लंबी शिक्षा ग्रहण कर सकता ।
शिक्षा  योजना में अधिनायक तंत्र के बीज   = प्लेटो के शिक्षा सिद्धांत में अधिनायक तंत्र के बीज  निहित है राज्य का शिक्षा पर पूर्ण नियंत्रण है इसी कारण पापर ने प्लेटो को फासीवादी विचारक माना हैफासीवादी वह होते हैं जो राज्य केंद्रित होते हैं पापर में प्लेटो को मुक्त समाज का शत्रु कहा है

निष्कर्ष  

प्लेटो के शिक्षा सिद्धांत की अत्यंत आलोचनाओं के उपरांत भी इसके महत्व एवं उपयोगिता और सार्थकता को नकारा नहीं जा सकता इनका शिक्षा का सिद्धांत वर्तमान समय में कहीं हद तक कारगर है शिक्षा द्वारा समाज   में फैली अत्यंत बुराइयों को हम मिटा सकते हैं तर्कशील बुद्धि के विकास द्वारा सभी समाज एवं महान समाज की नीव रखना संभव है प्लेटो ने हमें शिक्षा का एक उत्कर्ष सिद्धांत प्रदान किया है उसकी शिक्षा सीमित नहीं निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है यह सिर्फ मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से विकास पर भी बल देती है यह संकीर्ण नहीं सर्वांगीण है ।

BY NAMYA KATYAL

Link for YouTube video
 https://youtu.be/KFU48AIKVJY




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